हरियाणा

पढ़ाई छोड़ी, कर्ज लिया, पुराना पैरा ग्लाइडर ख़रीदा, देश के लिए कांस्य जीता

और अब झेल रहा आर्थिक तंगी; नहीं मिला कोई प्रोत्साहन

सत्यखबर, चरखी दादरी (विजय कुमार) – पैरा ग्लाइडिंग में देश का पदक दिलाने की चाह में पहले पढ़ाई छोड़ दी फिर 6 लाख का कर्ज लेकर पुराना पैरा ग्लाइडर खरीदा। इसी के बूते आगे बढ़ते हुए जिले के गांव सांकरोड़ निवासी नितिन जांगड़ा ने थाईलैंड में आयोजित वल्र्ड पैरामोटर चैंपियनशिप में कांस्य पदक अपने नाम कर दिया। चैंपियनशीप में पहली बार भारतीय टीम ने भागेदारी की थी। पहली बार में ही नितिन ने अपनी प्रतिभा दिखाते हुए कांस्य पदक देश की झोली में डाल दिया। परिवार को मेडल की खुशी के साथ-साथ इस बात का अफसोस भी है कि सरकार ने उनकी कोई मदद नहीं की।

नितिन ने गुरुग्राम जिला निवासी सुनील चौधरी के साथ मिलकर पीएल-टू (ज्वाइंट पैराग्लाइडिंग) में पहली दफा देश का प्रतिनिधित्व किया। यह स्पर्धा गत 27 अप्रैल से छह मई तक थाईलैंड में आयोजित की गई थी और इसमें फ्रांस, स्पेन, पौलेंड, इरान, आस्ट्रेलिया, चेक गणराज्य, कुवैत, कतर आदि देश के पैरा ग्लाइडरों ने हिस्सा लिया था। नितिन ने बताया कि पैरा ग्लाइडर बनने की चाह में उसने ग्रेजुएशन के दौरान ही पढ़ाई छोड़ दी थी। इसके बाद उसने परिचितों से छह लाख रुपये कर्ज लेकर खुद का एक पुराना पैरा ग्लाइडर खरीदा। मन में देश के लिए मेडल लेने का जज्बा था तो पुराने ग्लाइडर से ही पैक्टिस शुरू कर दी। हालांकि पैरा ग्लाइडर चलाने के लिए प्रमिशन को लेकर प्रशासन के चक्कर लगाए। प्रमिशन नहीं मिलने पर उसे कई बार अधिकारियों की भी डांट सुनी। फिर भी किसी तरह खेतों में पैरा ग्लाइडर चलाकर पै्रक्टिस करता रहा। इसी मेहनत के बूत उसने पिछले वर्ष नागपुर में आयोजित नेशनल चैंपियनशिप में उसने राष्ट्रीय स्तर पर स्वर्ण पदक प्राप्त किया था। अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसकी यह पहली कामयाबी है।

टीम में हरियाणा से दो ही प्रतिभागी
नितिन जांगड़ा ने बताया कि वल्र्ड पैरामोटर चैंपियनशिप में दस सदस्यीय भारतीय दल पहली बार हिस्सा लेने पहुंचा था। इस दल में हरियाणा से वो केवल दो ही प्रतिभागी थे। स्पर्धा में पोलैंड ने 360 अंक प्राप्त कर पहला, फ्रांस ने 150 अंक प्राप्त कर दूसरा व भारत की टीम ने 147 अंक लेकर तीसरा स्थान प्राप्त किया। चैंपियनशिप में पीएल-वन व पीएल-टू प्रतियोगिता में भारत ने बेहतर प्रदर्शन किया।

सरकार और विभाग से प्रोत्साहन न मिलने का मलाल
नितिन जांगड़ा ने बताया कि भारत में इस खेल को कोई प्रोत्साहन नहीं दिया जा रहा है जबकि विदेशों में इस खेल के प्रति काफी क्रेज है। उन्होंने कहा कि इस खेल के प्रति खिलाडिय़ों में जागरूकता पैदा हो, इसके लिए खेल विभाग को पैरामोटर खेल के प्रति ध्यान देना चाहिए।

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